Projector क्या है, इसके कार्य प्रकार और उपयोग क्या है – What is Projector in Hindi

क्या आप जानते हैं प्रोजेक्टर क्या है इसके कार्य प्रकार और उपयोग क्या है (Projector Kya Hota Hai, Projector Ke Karya Upyog Evam Prakar Kya Hai) अगर आप नहीं जानते कि प्रोजेक्टर क्या होता है एवं इसके प्रकार क्या-क्या होते हैं यह क्या उपयोग में लिया जाता है तो आज आप सही पोस्ट रीड कर रहे हो। आज के लेख में हम आपको प्रोजेक्टर के बारे में विस्तृत जानकारी में प्रोजेक्टर क्या है इसके कार्य प्रकार और उपयोग क्या है (What is a projector, what are its functions and uses in Hindi) को बताएंगे।

Table of Contents

प्रोजेक्टर (Projector) के बारे में

क्या आपको पता है कि प्रोजेक्टर क्या होता है। यहाँ Projector के विषय में जानकारी बताई गई हैं। इसलिए यदि आपको Projector के विषय में मालूम नहीं है। तब इस आर्टिकल को अवश्य पढ़िएगा। क्योंकि इस आर्टिकल में Projector की संपूर्ण जानकारी डिटेल में बताया गया है। जिसमें बताया गया है कि प्रोजेक्टर क्या होता है, प्रोजेक्टर कैसे कार्य करता है, Projector एक हिस्ट्री, Projector के टाइप, प्रोएक्शन स्क्रीन क्या होता है, Projector का यूज क्या होता और    प्रोजेक्टर (Projector) की विशेषता क्या होती है। 

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यानी सिर्फ इस आर्टिकल को पढ़ने के पश्चात आपको Projector के विषय में सारा कुछ मालूम चल जाएगा। आपने Projector को कहीं न कहीं अवश्य देखा होगा। आज के जमाने में इसका उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है। यदि आप एक स्टूडेंट है। तब शायद ही आपने इसे अपने इंस्टीट्यूट में जरूर देखा होगा। यदि आप जॉब करते हैं। तब Projector को आपने बिजनेस मीटिंग में देखा होगा। या फिर Projector को आपने सिनेमा हाल में जरूर देखा होगा। जो इमेज या विडियोज को बड़े पर्दे (Screen) पर दिखाता है। लेकिन क्या आपने कभी यह दिमाग में लाया है कि Projector के जरिए आकृति (Image) को कैसे दिखाया जाता है।

आपने प्रोजेक्टर को देखा है या नहीं। इसका कोई अर्थ नहीं होता है। यदि आप कंप्यूटर फील्ड के ट्रेड से हैं या कंप्यूटर फील्ड में अपना करियर को आगे बनाना चाहते हैं। तब आपको Projector की इनफॉर्मेशन जरूर होनी चाहिए। चूँकि इस आर्टिकल में हमने Projector की इनफॉर्मेशन को सरल भाषा और डिटेल से समझाया है। ताकि इस आर्टिकल को पढ़ने के पश्चात सभी लोगों को प्रोजेक्टर (Projector) की जानकारी प्राप्त हो जाए। तो बिना देरी किए Projector के बारे में जानकारी प्राप्त करते है। चलिए सर्वप्रथम जानते हैं कि Projector क्या होता है?

प्रोजेक्टर क्या होता है? (What is Projector in Hindi)

कंप्यूटर प्रोजेक्टर (Computer Projector) एक ऑप्टिकल डिवाइस (Optical Device) है। जो बिग स्क्रीन पर आउटपुट देने का काम करता है। इसलिए इसे आउटपुट डिवाइस भी कहते हैं। यह किसी इमेज या वीडियो को बिग सर्फेस जैसे दिवार (Wall) या सफेद पर्दा (White Screen) पर दिखा सकता है। इसकी मुख्य बात यही है कि यह निम्न या छोटे से छोटे इमेज (स्टेटिक या डायनेमिक) को बड़ा करके दिखा सकता है। जिसके लिए इसे किसी बेहतर Screen की जरूरत भी नहीं होती है। क्योंकि यह किसी भी साधारण स्क्रीन या दीवार पर इमेज दिखा सकता है।

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आपने इस तरह का डिवाइस कभी अवश्य सुना या देखा होगा, जो इमेज को स्क्रीन पर या किसी सर्फेस पर दिखाता है। वह डिवाइस Projector होता है। इसका अधिकतर इस्तेमाल मीटिंग और प्रेजेंटेशन देने के लिए होता है। आजकल इसका इस्तेमाल स्टडी में भी किया जा रहा है। सिनेमा हाल में मूवी या फिल्म भी इसके ही माध्यम से दिखती है। आज Projector का उपयोग घर में भी फिल्म या मूवी देखने के लिए किया जा रहा है। इसकी मदद से फिल्मों को बड़ी इमेजेस के साथ रिप्रेजेंट किया जाता है। जिसे बिग हाल में बैठे सारे दर्शक आराम से देख सकते हैं। फिल्मों को बड़ी इमेजेस के रूप में देखने का अपना अलग ही मनोरंजन होता है।

इस डिवाइस ने स्टडी के मैथड को भी चेंज कर दिया है। जहाँ पहले ब्लैकबोर्ड पर अध्ययन कराया जाता था और समझाया जाता था। लेकिन अब ब्लैकबोर्ड के स्थान पर Projector की जगह पक्की होती जा रही है। Projector का एजुकेशन में इस्तेमाल की डिटेल जानकारी नीचे बताया है। Projector कंप्यूटर या ब्लू रे प्लेयर (Blu-Ray Player) के माध्यम से प्राप्त इमेज को बिग यानी बड़ा कर दिखाता है। ज्यादातर Projector छोटे ट्रांसपेरेंट लेंस के जरिए लाइट को रिफ्लेक्ट करके इमेज क्रिएट करते हैं। जिसे रिफ्लेक्ट कर स्क्रीन,दीवार या किसी विशाल परदे पर दिखाया जाता है। नए तरह के Projector सीधे लेजर (Laser) का इस्तेमाल कर इमेज को प्रोजेक्ट (Project) कर सकते हैं।

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प्रोजेक्टर का क्या अर्थ है? (Projector Meaning in Hindi)

आपको मालूम होना चाहिए कि प्रोजेक्टर एक इंग्लिश शब्द है। तब क्या आपको पता हैं कि इसका हिंदी मतलब या अर्थ क्या है। Projector का हिंदी मतलब प्रक्षेपित्र या प्रक्षेपक होता है। सिंपल भाषा में समझा जाए, तब ऐसा कोई भी डिवाइस जो इमेज (स्थिर या गतिमान) को किसी सर्फेस पर प्रोजेक्ट करता है, वह प्रक्षेपक (Projector) या प्रक्षेपित्र कहा जाता है। चलिए Projector का इंट्रोडक्शन पढ़ते हैं।

प्रोजेक्टर का परिचय (Projector Introduction in Hindi)

आपने यह तो मालुम पड़ गया होगा की प्रोजेक्टर क्या है और प्रोजेक्टर अर्थ क्या होता है। इतना पढ़ने के पश्चात आपको Projector के विषय में अधिक जानकारी हो गई होगी। लेकिन इससे आप प्रोजेक्टर (Projector) से इंट्रोड्यूस नहीं हुए होंगे। क्या आपको इतना सारा पढ़ने के पश्चात यह समझ में आया है कि प्रोजेक्टर कैसा होता है। क्या आप Projector के विषय में अनुमान लगा सकते हैं। नहीं ना! जिन्होंने Projector को देखा या छुआ है। वे लोग तो Projector से आसानी से परिचित हो गए होंगे कि एक Projector किस तरह होता है। लेकिन यदि आप प्रोजेक्टर से परिचित नहीं है। तब आपके लिए इस लेख में हमने Projector का इंट्रोडक्शन दिया है।

Projector बहुत तरह के ढांचे और आकार में आते हैं। इनकी कैपेसिटी भी विभिन्न तरह की होती है। साधारणतया Projector एक बॉक्स या डिब्बे जैसा प्रतीत होता है। इसे कंप्यूटर या अन्य Multimedia Device से कनेक्ट करने के लिए केबल का इस्तेमाल किया जाता है। आजकल के Projector Wireless भी आने लगे हैं। जिसे मल्टीमीडिया ब्लूटूथ से कनेक्ट या जोड़कर किया जा सकता है। Projector को ऑन करने पर इससे लाइट की फोकस निकलती प्रतीत होती है। यह लाईट जिस जगह पड़ती है। वहाँ बड़े साइज में इमेज दिखने लगते हैं। क्लियर पिक्चर बनाने के लिए इसे अंधेरे या डार्क की जरूरत होती है। इसलिए इसका इस्तेमाल अंधेरे रूम में किया जाता है।

सिनेमा हाल में भी अंधेराकायम होता है। यह तो आपको मालूम ही होगा। जिन लोगो ने प्रोजेक्टर नहीं देखा है। उनके लिए हमने ऊपर प्रोजेक्टर की इमेज दिया है। वही बॉक्स या डिब्बे के साइज का डिवाइस Projector होता है। आपने यह तो पता कर लिया कि Projector किस साइज और शेप का होता है। चलिए अब यह भी पता a

करते हैं कि Projector की सहायता से इमेज को किस तरह दिखाया जाता है। यानी Projector कैसे कार्य करता है?

प्रोजेक्टर कैसे कार्य करता है? (How Projector Work in Hindi)

Projector किसी सर्फेस,स्क्रीन या परदे पर छवि या वीडियो को प्रोजेक्ट करता है। ज्यादातर प्रोजेक्टर (Projector) में एक लेंस फिट होता है। इसी लेंस से पास होकर लाइट किसी सर्फेस पर पड़ती है। यह लाईट से सर्फेस पर पिक्चर्स की इमेज बनाता है। कुछ नए प्रोजेक्टर लेंस के स्थान पर लेजर का उपयोग करते हैं। प्रोजेक्टर को क्या शो करवाना है, क्या नहीं आदि का संकेत कंप्यूटर से प्राप्त होता है। इसके लिए Projector को कंप्यूटर से Connect करना होता है और कंप्यूटर में Projector का एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होता है।

पहले जमाने के प्रोजेक्टर के मेथोडोलॉजी आसान था। क्योंकि पहले Film के प्रत्येक Frame में स्मॉल होता था। फोटो को लाइट की मदद से लेंस  पर पास कराया जाता था। जिसके पश्चात फोटो बड़े साइज में दिखता था। किंतु आज के टाइम में कई सारे प्रोजेक्टर आ गए हैं। परंतु सभी का कार्यप्रणाली करीबन बराबर ही होता है। हालांकि उनकी Quality और Capacity में अंतर हो सकता है। आज के टाइम का Projector का वर्क चेंज चुका है। अब यह हाई इंटेंसिटी की लाइट को छोटे छोटे पिक्सल्स (Pixels) से होकर पास कराया जाता है।

इसमें तीन प्रकार के डिस्प्ले का उपयोग होता है। जिसकी कारण लाइट को तीन कलर्स से पास होना पड़ता है। फिर लाइट प्रिज्म (Prism) में जाकर कलरफुल बनती है। जिसके पश्चात Projector इस लाइट को प्रोजेक्ट कर देती है। अब वह इमेज या वीडियो बड़े साइज में दिखने लगता है।

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प्रोजेक्टर का थ्रो डिस्टेंस (Throw Distance) क्या है?

किसी प्रोजेक्टर (Projector) का थ्रो डिस्टेंस (Throw Distance) वह डिस्टेंस होता है। जो प्रोजेक्टर और स्क्रीन के मध्य दूरी होता है। इसका मतलब Projector के माध्यम से जहाँ प्रोजेक्ट किया गया है। वहाँ से लेकर प्रोजेक्टर तक की Distance को थ्रो डिस्टेंस कहते हैं। यानी वह डिस्टेंस जहाँ प्रोजेक्टर के जरिए इमेज को थ्रोन (Thrown) किया जा सकता है।

प्रोजेक्शन स्क्रीन (Projection Screen) क्या होता है?  

सरल शब्दों में बात की जाए तो Projector के जरिए जिस स्क्रीन पर इमेज दिखाया जाता है। उस स्क्रीन को प्रोजेक्शन स्क्रीन (Projection Screen) कहते हैं। प्रोजेक्शन स्क्रीन एक प्रकार का सर्फेस और सपोर्ट फीचर्स के साथ होता है। जिसे प्रोजेक्टड इमेज को दिखाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। जिस पर इमेज को ऑडियंस देखती है। प्रोजेक्शन स्क्रीन भी बहुत प्रकार के आते हैं। परंतु सारे प्रोजेक्शन स्क्रीन के कार्य करने का मैथड करीबन बराबर होता है। जैसे कि फ्रंट प्रोजेक्शन स्क्रीन (Front Projection Screen) करते हैं।

प्रोजेक्टर के प्रकार (Types of Projector in Hindi)

वैसे तो प्रोजेक्टर के बहुत तरह के होते हैं। उसकी स्पेशलिटी और कार्यप्रणाली के बेसिस पर काफी सारे भागो में वर्गीकृत कर सकते हैं। परंतु खासतौर से निम्न तरह में बांट सकते हैं।

• डीएलपी प्रोजेक्टर (DLP Projector)

• एलसीडी प्रोजेक्टर (LCD Projector)

• सीआरटी प्रोजेक्टर (CRT Projector)

चलिए प्रोजेक्टर के प्रकार को डिटेल से जानते है–

डीएलपी प्रोजेक्टर क्या होता है? (DLP Projector in Hindi)

DLP का Full Form या पूर्ण नाम Digital Light Processing होता है। डीएलपी ऑप्टिकल- माइक्रो-इलेक्ट्रिकल- मैकेनिकल (Optical Micro-Electro-Mechanica) Technique पर बेस्ड चिप (Chip) का एक सेट होता है। इस Technique का इन्वेंशन लैरी हार्नबैक (Larry Hornback) के जरिए वर्ष 1987 मे किया गया था। जिसमें डिजिटल माइक्रोमीरर डिवाइस (Digital Micromirror Device DMD) इस्तेमाल किया जाता है। परंतु प्रथम बार डीएलपी आधारित प्रोजेक्टर को वर्ष 1997 में डिजिटल प्रोजेक्शन लिमिटेड (Digital Projection Limited) के माध्यम से पेश किया गया था। इसके लिए डिजिटल प्रोजेक्शन लिमिटेड  को वर्ष 1998 में एमी अवार्ड (Ammie Award) से सम्मानित भी किया गया था।

डीएलपी प्रोजेक्टर दो प्रकार की होती है। 1 चिप (Chip) डीएलपी प्रोजेक्टर और 3 चिप डीएलपी प्रोजेक्टर। डीएलपी किसी व्हाइट पर्दे, सर्फेस या स्क्रीन पर लाइट को इमेज करता है। क्योंकि डीएलपी रिफ्लेक्टिव प्रोजेक्शन मैथड का इस्तेमाल करता है। इसके लिए माइक्रो मिरर (Micro Mirror) का उपयोग किया जाता है। इसी माइक्रो मिरर को डिजिटल माइक्रो मिरर भी कहते हैं। डिजिटल माइक्रो मिरर छोटे (Small) होते हैं। डीएलपी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल विभिन्न तरह के कामों में किया जाता है। जिसमें बिजनेस या डोमेस्टिक मनोरंजन, बिग स्क्रीन टेलीविजन और डिजिटल सिनेमा के जगह पर किया जाता है।

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DLP Projector के लाभ

DLP Projector को मेंटेन रखना ईजी होता है। क्योंकि यह एक फिल्टर फ्री  और सील्ड चिप डिजाइन प्रोजेक्शन होता है।

DLP Projector अच्छे कंट्रास्ट (Contrast) और हाई कंट्रास्ट रेश्यो के साथ बेहतरीन, कलरफुल और क्लियर छवियां प्रोवाइड करते हैं।

पिक्सल्स (Pixels) के बीच लिमिट जगह के वजह से आखिरी इमेज बहुत फास्ट होती है।

मिरर के इस्तेमाल से लाइट प्रोडक्शन अधिक होता है और इसमें लाइट लॉस भी अधिक कम होती है।।

डीएलपी टेक्नोलॉजी अन्य प्रोजेक्टर के तुलना में गहरा ब्लैक कलर प्रोवाइड  करते हैं।

डीएलपी एक Smoother इमेज क्रिएट करती है। जो 35mm या 70mm की फिल्म जितनी बेहतरीन होती है।।।

डीएलपी प्रोजेक्टर के हानि

मिरर चिप के कारण डीएलपी में पिक्सल्स की संख्या लिमिट में होती है।

डीएलपी एलसीडी टेक्नोलॉजी की भांति उज्ज्वल नहीं है।

यह स्क्रीन पर कलर की शॉर्ट ब्राइट के साथ-साथ रेनबो इफेक्ट भी उत्पन्न कर सकता है।

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एलसीडी प्रोजेक्टर क्या है? (LCD Projector in Hindi)

LCD का Full Form या पूर्ण नाम Liquid Crystal Display होता है। एलसीडी प्रोजेक्टर रिफ्लेक्टिव के बजाय लाइट ट्रांसमिसिव (Light Transmissive) तकनीक पर वर्क करता है। जिसके लिए लिक्विड क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के डिस्प्ले पैनल का इस्तेमाल Laptop,TV, Smartphone आदि में भी होता है। एलसीडी डिस्प्ले CRT की अपेक्षा में पतली(Thin) होती है। इसे स्लाइड प्रोजेक्टर और ओवरहेड प्रोजेक्टर का मॉडर्न वर्जन बोल सकते हैं। जो वीडियो, इमेज और डाटा को डिस्प्ले करता है।

यह प्रोजेक्टर प्रत्येक कलर्स के लिए तीन Panel का इस्तेमाल करता है। ऑप्टिकल फिल्टर का प्रमुख काम लैंप से सफेद (White) Light को तीन कलर्स (Red, Green, Blue) में डिवाइड करना और संबंधित पैनल के जरिए निर्देशित करना होता है। एलसीडी प्रोजेक्टर का सबसे पहला प्रोटोटाइप (Prototype) वर्ष 1972 में SID सम्मेलन में प्रेजेंट किया गया था।

LCD Projector के फायदे

एलसीडी प्रोजेक्टर कम बजट होते हैं।

एलसीडी प्रोजेक्टर ज्यादा लाइट कुशल होते हैं।

एलसीडी प्रोजेक्टर का कलर संतृप्ति बेहतर होता है।

एलसीडी प्रोजेक्टर एक ब्राइट इमेज प्रोड्यूस कर सकते हैं।

जब बात ब्राइटनेस की अति है। तब एलसीडी प्रोजेक्टर हाई स्कोर करते हैं।

3 LCD Projector लाइट रूम में भी क्लियर और सुंदर इमेजेस प्रोवाइड कर सकते हैं।

LCD Projector के हानि

LCD Projector हेवी हो सकते हैं। क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में इंटरनल कंपोनेंट्स होते हैं। इस वजह इसे बहुत बार इधर उधर ले जाना एक कठिन काम होता है।

LCD तेजी से नष्ट हो सकते हैं और इसके पार्ट्स को रिप्लेस करना कॉस्टली होता है।

LCD Projector पिक्सल्स के साथ इमेजेस भारी दिखने के वजह से बनते हैं।

LCD Projector टाइम के साथ इमेज क्वालिटी खो सकते हैं।

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सीआरटी प्रोजेक्टर क्या है? (CRT Projector in Hindi)

CRT का Full Form या पूर्ण नाम कैथोड राय ट्यूब (Cathode Ray Tube) होता है। CRT प्रोजेक्टर एक सर्फेस का वीडियो प्रोजेक्शन डिवाइस है। जो इमेज क्रिएट करने लिए कैथोड राय ट्यूब (CRT) का उपयोग करता है। फिर लेंस की मदद से इमेज को किसी सर्फेस या परदे पर फोकस्ड कर बड़ा दिखाया जाता है। आजकल ज्यादातर सीआरटी प्रोजेक्टर कलरफुल होते हैं। सर्वप्रथम कलरफुल सीआरटी प्रोजेक्टर करीबन वर्ष 1950 के स्टार्टिंग में सामने आया था। सीआरटी प्रोजेक्टर रंगीन इमेजेस बनाने के लिए तीन विभिन्न सीआरटी और लेंस का इस्तेमाल करते हैं।

एक टाइम सीआरटी प्रोजेक्टर का उपयोग भी बहुत ज्यादा होता था। परंतु बाद में यह एलसीडी और डीएलपी टेक्नोलॉजी से रिप्लेस हो गया। इस टेक्नोलॉजी में बहुत विकास और सुधार किया गया। जिसका परिणाम स्वरूप साल 2000 के आखिरी तक सीआरटी में बहुत डाउनफॉल देखी गई और वर्ष 2012 तक अधिक कम हो गया।

सीआरटी प्रोजेक्टर (CRT Projector) के फायदे

सीआरटी प्रोजेक्टर में इंद्रधनुष (Rainbow) इफेक्ट प्रोड्यूस नहीं होता है।

CRT कलरफुल इमेज बनाते हैं।

CRT के माध्यम बनाए इमेज क्वालिटी भी बेहतरीन होती है।

सीआरटी प्रोजेक्टर के हानि

CRT ज्यादा बिजली कंज्यूम करते हैं।

सीआरटी वजन में हेवी होते हैं।

CRT साइज में बड़े होते हैं।

CRT पोर्टेबल नहीं होते, इसे एक जगह दूसरे जगह ले जाना कठिन काम है।

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प्रोजेक्टर का भाग (Parts of Projector in Hindi)

लेंस (Lens) : यह प्रोजेक्टर का इंपोर्टेंट पार्ट है। यही इमेज को स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करता है। कुछ प्रोजेक्टर में टेलीस्कोप टाइप के लेंस होते हैं। जिनमें जूम (Zoom) करने की विशेषता होती है। जिससे प्रोजेक्टर को बिना आगे पीछे हिलाए प्रोजेक्टेड इमेज को बिग और स्मॉल किया जा सकता है।

प्रोजेक्शन लैंप (Projection Lamp) : इसे प्रोजेक्टर बल्ब के फॉर्म में समझ सकते हैं। एक लाइट बल्ब अन्य मिरर के जरिए पूर्ण इमेज को ब्राइट करता है। तब लाइट प्रोजेक्टर लेंस से होकर पास होता है। लेंस में घुमावदार ग्लास के बहुत टुकड़े हो सकते हैं। जो इमेज को बड़ा करने या केंद्रित पर कंट्रोल करने के लिए बेंड किया जाता है।

मेन बोर्ड (Main Board) : प्रोजेक्टर में एक पीसीबी बोर्ड भी होता है। जिसे मैन बोर्ड भी बोला जाता है। इस बोर्ड से सभी प्रोजेक्टर कंपोनेंट्स आपस में अटैच होते हैं।

पावर सप्लाई (Power Supply) : प्रोजेक्टर को पावर सप्लाई करने के लिए एक नन्हा सा plConnectors होता है। जिसे पावर सप्लाई कहते हैं। इसी के माध्यम से प्रोजेक्टर में पावर सप्लाई होता है। पावर सप्लाई भी प्रोजेक्टर के Main Board से अटैच होता है। जिससे यह प्रोजेक्टर के सभी कंपोनेंट्स तक पावर सप्लाई कर पाता है।

कूलिंग फैन (Cooling Fan) : प्रोजेक्टर में एक कूलिंग फैन होता है। जो प्रोजेक्टर को कूल करने का कार्य करता है। जब प्रोजेक्टर स्टार्ट होता है। तब यह अधिक ज्यादा हॉट हो जाता है। जिसके वजह से प्रोजेक्टर स्टॉप हो जाता है या डैमेज भी हो सकता है। इसीलिए प्रोजेक्टर में कूलिंग फैन लगाया जाता है। ताकि प्रोजेक्टर ठीक से लंबे टाइम तक चल सके।

स्पीकर (Speaker) : प्रोजेक्टर में एक स्पीकर भी लगा होता है। जिससे वॉयस निकलती है। जब हम प्रोजेक्टर से कोई विडियोज देखते हैं। तब इमेज किसी सर्फेस या स्क्रीन पर दिखता है। जबकि वॉयस प्रोजेक्टर के स्पीकर से आता है। तेज वॉयस के लिए आप अतरिक्त स्पीकर भी लगा सकते हैं।

पोर्ट एंड कनेक्टर्स (Port & Connectors) (Interface) : प्रोजेक्टर में तमाम तरह के पोर्ट्स और कनेक्टर लगा होता है। प्रोजेक्टर को Computer से Connect करने के लिए इन्हीं में से किसी कनेक्टर का उपयोग किया जाता है। इसमें एचडीएमआई (HDMI) और यूएसबी (USB) के लिए भी ऑप्शन दिया होता है।

रिमोट रिसीवर (Remote Receiver) : आजकल के प्रोजेक्टर रिमोट कंट्रोल के साथ आने लगे हैं। इस प्रकार के प्रोजेक्टर को रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। ऐसे प्रोजेक्टर में एक रिमोट रिसीवर भी लगा होता है। यह रिमोट के सिग्नल को रिसीव करता है।

केस (Case) : प्रोजेक्टर कैसे भी प्रोजेक्टर के लिए इंपोर्टेंट होता है। यह प्रोजेक्टर के सभी आवश्यक कंपोनेंट्स को सेव रखने का काम करता है।

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प्रोजेक्टर की विशेषता (Features of Projector in Hindi)

प्रोजेक्टर का इस्तेमाल भी बहुत ज्यादा होता है। हालांकि टीवी जितना तो नहीं, फिर भी इसका इस्तेमाल डेली यानी रोजाना बढ़ रहा है। इसलिए यहाँ हम इसके कुछ इंपोर्टेंट स्पेशलिटी को जानेंगे। प्रोजेक्टर का निम्नलिखित विशेषता है।

1. पोर्टेबल (Portable)

प्रोजेक्टर का इस्तेमाल मुख्य रूप से टीवी और मॉनिटर के जगह पर किया जाता है। लेकिन टीवी और मॉनिटर विशाल होते हैं। इसे किसी एक जगह पर स्तिथ रखना होता है। इसको आप कहीं पर लेके नहीं जा सकते हैं। जबकि एक प्रोजेक्टर स्मॉल होने के साथ वजन में भी कम भारी होता है। इसे आप एक स्थान से अन्य स्थान आराम से ले जा सकने में कैपेबल होते हैं।

2. इंस्टॉल करने में आसानी (Easy to Install)

प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करने के लिए अधिक कुछ Set Up करने की जरूरत नहीं होती है। इसे सेटअप करना ईजी होता है और किसी भी टाइम इसे सेटअप कर सकते हैं।

3. बड़ी आकार की छवि (Large Picture Size)

एक प्रोजेक्टर साइज में छोटा होने के अतरिक्त वजन (Weight) में कम भारी होता है। परंतु इसके पिक्चर्स साइज स्मॉल नही होती है। इसकी मेथोडोलॉजी लाइट Focus पर बेस्ड होती है। यह लाईट का Focus कर लार्ज इमेज बनाते हैं।

4. रेजोल्यूशन (Resolution)

प्रोजेक्टर बड़ा इमेज बनाने के अतरिक्त उसकी पिक्चर्स रेजोल्यूशन भी बेहतरीन होती है। अधिकतर प्रोजेक्टर की पिक्चर्स क्वालिटी 1080p होती है। जो बहुत बेहतरीन होता है पिक्चर्स क्वालिटी के लिए।

5. डार्क रूम (Dark Room)

एक प्रोजेक्टर का इस्तेमाल डार्क रूम में किया जाता है। इससे पिक्चर्स की क्वालिटी अच्छी और क्लियर दिखती है। इसे भी हम प्रोजेक्टर की एक इंपोर्टेंट विशेषता कह सकते हैं। बहुत लोगों को यह स्पेसिल्टी लाभदायक लगता है। जैसे; मूवीज देखते टाइम। वहीं यह स्पेसिल्टी कभी हार्मफुल भी होता है। जैसे; Meeting और Study टाइम।

प्रोजेक्टर का उपयोग (Uses of Projector in Hindi)

चलिए अब जानते हैं कि कंप्यूटर प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कहाँ कहाँ होता है।

1. Meetings & Presentations देने में

मीटिंग और प्रेजेंटेशन देने में प्रोजेक्टर मुख्य रुप से इस्तेमाल किया जाता है। यदि आप जॉब में हैं। तब आप इसका उपयोग अवश्य किए होंगे। यदि आपने इसका इस्तेमाल नहीं किया है। तब इसे मूवीज में अवश्य देखा होगा। यानी प्रोजेक्टर का अधिकतर या मुख्य रूप से इस्तेमाल मीटिंग और प्रेजेंटेशन देने के लिए होता है।

2. Projector का एजुकेशन में इस्तेमाल

आजकल प्रोजेक्टर का इस्तेमाल एजुकेशन में भी हो रहा है। इससे एजुकेशन ब्लैकबोर्ड की तुलना में थोड़ा ईजी हो जाता है। क्योंकि इससे पार्ट्स के Biology या Image दिखाने में आराम होता है। जहाँ ब्लैकबोर्ड पर पार्ट्स को बनाना पड़ता है। जिससे समझाना तनिक कठिन होता है। परंतु प्रोजेक्टर की सहायता से किसी इमेज को 3डी में रिप्रेंस्ट समझाना आसन हो जाता है। जिससे एजुकेशन थोड़ी रोचक लगने लगती है। साथ में टीचर को भी आराम होता है। इसमें बार बार लिखना और रोमोव करना नहीं पड़ता है।

3. प्रोजेक्टर का शादी ब्याह समारोह में इस्तेमाल

आजकल इसका इस्तेमाल शादी और फंक्शन जैसे फंक्शन में भी करा जाता है। जैसा कि उपर्युक्त मैंने बताने कि कोशिश कि इससे हाल में बैठे सारे दर्शक देख सकते हैं। चूँकि मैरिज और फंक्शन पार्ट आदि में ढेर सारे लोग होते हैं। इसलिए यहाँ किसी मूवी या मेमोरीज को देखने के लिए प्रोजेक्टर का उपयोग होता है। जैसे; शादी की इमेजेस देखने में।

4. Projector का Video Game में उपयोग

आज के टाइम में वीडियो गेम्स इतना एडवांस्ड हो गया है कि लोग रात दिन इसी में जुटे रहते हैं। लोग अपने एजुकेशन और इंपोर्टेंट कार्य छोड़कर प्ले करते हैं। कुछ अपने एंड्रॉयड फोन से प्ले करते हैं, तो कुछ Computer पर खेलते हैं। यहाँ पर भी बिग स्क्रीन की जरूरत होती है। जिसकी पूर्ति प्रोजेक्टर करता है।

5. प्रोजेक्टर का मूवीज देखने में इस्तेमाल

प्रोजेक्टर को सिनेमा के लिए ही जाना जाता है। लोग पहले भी इसका इस्तेमाल मूवीज देखने में करते थे और आज भी ही करते हैं। यदि किसी के पास प्रोजेक्टर उपलब्ध है। तब वह उसका अधिकतर इस्तेमाल अपने परिवार या मित्रों के साथ मूवीज देखने में करते होंगे।

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निष्कर्ष –

प्रोजेक्टर, जिसका हिंदी मतलब प्रोजेक्टर होता है। जो कि इमेज को प्रोजेक्टर करने का काम करता है। इस आर्टिकल में हमने प्रोजेक्टर के विषय में सारा कुछ डिटेल से बताया है। प्रोजेक्टर की यह प्रभावशाली आर्टिकल “Projector क्या होता है? इसका इंट्रोडक्शन और हिंदी मीनिंग” कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा और कुछ नया ताजा लर्न करने को मिला होगा।

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