IPv4 और IPv6 में अंतर? Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi

IPv4 vs IPv6 : आज के लेख में IPv4 vs IPv6 में अंतर? Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi के बारे में जानकारी दी गई है।

दोस्तों क्या अपको पता है IPv4 और IPv6 में क्या अंतर है अगर आप नही जानते कि IPv4 और IPv6 में Difference क्या है तो कोई दिक्कत नहीं, आज हम आपको IPv4 vs IPv6 दोनो के बीच अंतर स्पष्ट करेगें साथ ही आपको IPv4 क्या है और IPv6 क्या है के बारे में बताएंगे। 

Technology के समय में आए दिन नई नई चीजे लॉन्च होती हैं वो भी Technology से संबंधित। हमको टेक्नोलॉजी के छेत्र में क्या हो रहा है मालूम होना चाहिए तभी हम IPv4 vs IPv6 जैसे शब्दों का मतलब जान पाएंगे। 

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जी हां, IPv4 vs IPv6 क्या है दोनों के उपयोग क्या है एवं IPv4 vs IPv6 की क्या विशेषताएं और इनका इस्तेमाल कब और कहां होता है।

चलिए अब आपको IPv4 Aur IPv6 Me Antar क्या है के बारे में विस्तृत जानकारी बताते हैं।

Table of Contents

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IPv4 और IPv6 के बीच अंतर | Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi

अब आपको IPv4 vs IPv6 दोनों के बीच क्या अंतर है के बारे में सही और विस्तृत जानकारी बताते हैं ताकि आपको IPv4 और IPv6 के बीच अंतर (Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi) क्या अंतर है, समझ में आ सके –

प्रमुख विशेषताIPv4IPv6
IP पतों की लंबाई32 बिट128 बिट
पतों की कुल संख्या2^32 (करीब 43 बिलियन)2^128 (अत्यधिक बड़ी संख्या)
व्यक्तिगत IP पताहर उपकरण को एक ही आईपी पताविभिन्न उपकरणों के लिए व्यक्तिगत आईपी पते
IP पतों का प्राप्तनDHCP (Dynamic Host Configuration Protocol) का उपयोग करता हैअधिकतम प्राधिकृति के रूप में Stateless Address Autoconfiguration (SLAAC) और भविष्य की सामर्थ्य के रूप में DHCPv6 का उपयोग कर सकता है।
सुरक्षा और गोपनीयताबुनावटी सुरक्षा, NAT का उपयोग किया जाता हैबेहतर सुरक्षा, IPSec का अनिवार्य रूप से समर्थन और नेटवर्क स्वीकृति तथा डोमेन नाम सुरक्षा (DNSSEC) का समर्थन
भविष्य की सामर्थ्यसीमित सामर्थ्य, पतों की कमी का खतराविस्तारित सामर्थ्य, नए उपकरणों का समर्थन
NAT (Network Address Translation)आवश्यक हैकम आवश्यकता
उपयोग की विस्तारित समर्थनविभिन्न उपकरणों और नेटवर्कों के साथ अधिक आसानी से उपयोग कर सकता हैस्थायी और मोबाइल उपकरणों, अनुप्रयासी संगठनों, और भविष्य के उपकरणों के समर्थन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi

IPv4 (आईपी वर्जन 4):

  • IPv4 के पते 32 बिट के होते हैं, जिससे कुल 4,294,967,296 व्यक्तिगत IP पते बन सकते हैं।
  • हर उपकरण को एक ही आईपी पता मिलता है जिसका व्यवस्थित वितरण DHCP के माध्यम से होता है।
  • सुरक्षा के लिए अधिक प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है, और नेटवर्क पर आधारित समस्याएँ होती हैं, जैसे कि पतों की कमी और NAT की आवश्यकता होती है।

IPv6 (आईपी वर्जन 6):

  • IPv6 के पते 128 बिट के होते हैं, जिससे अत्यधिक व्यक्तिगत IP पते बन सकते हैं।
  • IPv6 में, उपकरण स्वच्छ रूप से अपने आपको कॉन्फ़िगर कर सकते हैं, और DHCPv6 का उपयोग भी किया जा सकता है।
  • सुरक्षा में उन्नतता है, और इसमें IPSec का समर्थन अनिवार्य है, जिससे डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • IPv6 ने इंटरनेट को और बड़ा, सुरक्षित, और भविष्य के लिए तैयार बनाने में मदद की है, जबकि IPv4 के साथ कई समस्याएँ हैं और इसकी सामर्थ्य सीमित है।

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IPv4 क्या है | What is IPv4 in Hindi

IPv4 (Internet Protocol Version 4) एक इंटरनेट प्रोटोकॉल है जो इंटरनेट पर डेटा को पहुंचाने और व्यक्तिगत आईपी (IP) पतों को प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य डेटा को सही और सुरक्षित तरीके से भेजना और प्राप्त करना है ताकि विश्वभर में उपकरण और कंप्यूटर आपसी संवाद कर सकें।

IPv4 का प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें पतों की लंबाई 32 बिट है, जिससे कुल 4,294,967,296 (करीब 43 बिलियन) व्यक्तिगत IP पते बन सकते हैं। हर उपकरण को एक ही आईपी पता दिया जाता है, और इसका व्यवस्थित वितरण DHCP (Dynamic Host Configuration Protocol) के माध्यम से होता है।

IPv4 का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि इसमें NAT (Network Address Translation) का उपयोग किया जाता है, जिससे कई उपकरण एक ही सार्वजनिक IP पते का उपयोग कर सकते हैं।

हालांकि IPv4 ने इंटरनेट को प्रारंभ किया और अब भी प्रचलित है, लेकिन इसकी सामर्थ्य में सीमाएँ हैं और IP पतों की कमी होने की समस्या हो रही है। इसके कारण, IPv6 को विकसित किया गया है, जिसमें पतों की लंबाई 128 बिट होती है और इससे अत्यधिक व्यक्तिगत IP पते बनाए जा सकते हैं। IPv6 इंटरनेट के भविष्य को तैयार करने का माध्यम है और नए उपकरणों और तकनीकों का समर्थन करता है।

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IPv6 क्या है | What is IPv6 in Hindi

IPv6 (Internet Protocol Version 6) एक इंटरनेट प्रोटोकॉल है जो इंटरनेट के स्वरूप और कार्यन न केवल सुधारता है, बल्कि एक समृद्धि का प्रतीक है। यह नए और अधिक व्यक्तिगत आईपी (IP) पतों की तरह कार्य करता है, जिससे विश्वभर में उपकरणों और सेवाओं के लिए पर्याप्त पतों की वितरण हो सकता है।

IPv6 में पतों की लंबाई 128 बिट होती है, जो अत्यधिक व्यक्तिगत पतों का समर्थन करती है। इसका मतलब है कि बिलियों अन्य डिवाइसों को व्यक्तिगत आईपी पते से संबंधित किया जा सकता है, जो इंटरनेट की विस्तारितता को बढ़ावा देता है।

इसके अलावा, IPv6 में सुरक्षा और गोपनीयता के मामले में भी सुधार हुई है। यहाँ पर IPSec (Internet Protocol Security) और अन्य सुरक्षा संबंधित सुविधाएँ अनिवार्य रूप से उपलब्ध होती हैं, जिससे डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित होती हैं।

सारांश में, IPv6 एक महत्वपूर्ण पारदर्शी दिशा है जो इंटरनेट के भविष्य को सुरक्षित और विस्तारित बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उपकरणों और सेवाओं को सही तरीके से जुड़ा जा सके।

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IPv4 vs IPv6 के उपयोग

IPv4 और IPv6 दोनों इंटरनेट प्रोटोकॉल्स हैं, लेकिन उनके उपयोग क्षेत्रों में कुछ मुख्य अंतर हैं:

IPv4 का उपयोग

  • IPv4 पूरे इंटरनेट के लिए एक प्रमुख प्रोटोकॉल के रूप में शुरू हुआ था।
  • आज भी बहुत सारे उपकरण और सेवाएं IPv4 का उपयोग करते हैं।
  • IPv4 के पतों की कमी होने के कारण, NAT (Network Address Translation) का उपयोग करके कई उपकरण एक ही सार्वजनिक आईपी पता का उपयोग करते हैं।

IPv6 का उपयोग:

  • IPv6 भविष्य के लिए डिज़ाइन किया गया है और इंटरनेट के विकास को समर्थन करने के लिए बढ़ेगा।
  • यह अत्यधिक व्यक्तिगत पतों का समर्थन करता है, जिससे विभिन्न उपकरणों को व्यक्तिगत आईपी पता दिया जा सकता है।
  • IPv6 में NAT की कम आवश्यकता होती है, क्योंकि पतों की कमी नहीं होती।
  • सुरक्षा और गोपनीयता में भी IPv6 में उन्नतता होती है, और IPSec का अनिवार्य समर्थन होता है।

उपयोग के क्षेत्र

  • IPv4 आज भी बहुत सारे स्थायी और व्यावसायिक उपकरणों, सेवाओं, और नेटवर्कों के लिए उपयोग किया जाता है, और इसका उपयोग जीवन के अनेक पहलुओं में होता है।
  • IPv6 भविष्य के उपकरणों, मोबाइल उपकरणों, और एक और बड़े इंटरनेट के स्वरूप के साथ जुड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और यह इंटरनेट की बढ़ती विश्वव्यापी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।

सम्भवत: भविष्य में, IPv6 आधिकारिक इंटरनेट प्रोटोकॉल के रूप में IPv4 को प्रतिस्थापित करेगा, क्योंकि यह व्यक्तिगत पतों की अधिक संख्या और सुरक्षा और गोपनीयता के मामले में बेहतर समर्थन प्रदान करता है।

Computer का आविष्कार किसने किया और कब?

IPv4 का Full Form

IPv4 का पूरा नाम “Internet Protocol Version 4” है।

Ipv6 का Full Form

IPv6 का पूरा नाम “Internet Protocol Version 6” है।

Conclusion –

दोस्तों हमने आपके लेख में IPv4 और IPv6 के बीच अंतर Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi के बारे में विस्तार से समझाने का प्रयास किया है जिसमें हमने आपको दोनों के बीच अंतर एवं IPv4 और IPv6 क्या है के बारे में भी बताया है। हमने काफी रिसर्च करके आपके लिए यह लेख तैयार किया है ताकि आपको इन दोनों के बीच का अंतर और इन दोनों की परिभाषा क्या है वह समझ में आ जाए।

अगर आपको आज का यह आर्टिकल IPv4 और IPv6 के बीच अंतर Difference Between IPv4 vs IPv6 in Hindi समझने में कोई दिक्कत ना आई हो और आपको आर्टिकल जरूर अच्छा लगा हो तो आपसे निवेदन है कि आप अपने मिलने जुलने वाले सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर करें ताकि उनका भी नॉलेज बड़े और उनको भी पता चले की IPv4 और IPv6 के बीच अंतर क्या होता हैं।

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